Madhu varma

Add To collaction

लेखनी कविता - पटाखे - बालस्वरूप राही

पटाखे / बालस्वरूप राही


पप्पू, ये फुलझड़ियाँ लो।
पापा, वो वाली भी दो।

पप्पू, कैसा चला अनार?
पापा, और चलाओ चार!

 पप्पू, लो पकड़ो हंटर!
पापा, मुझे न लगता दर!

पप्पू, ये चक्री देखो,
पापा, वाह, वाह, ओहो!

पप्पू, चली हवाई जूं...!
पापा, बाकी कहाँ कहूँ?

पप्पू, संभलों फूटा बम!
पापा, अब तो भागे हम!

   0
0 Comments